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भारतीय बाजार में MRF का दबदबा, जबकि कॉन्टिनेंटल जैसी वैश्विक कंपनियां टिकाऊ टायरों पर लगा रहीं दांव

भारत की सबसे बड़ी टायर निर्माता कंपनी, एमआरएफ लिमिटेड (MRF Limited), शेयर बाजार में लगातार मजबूत प्रदर्शन कर रही है। कंपनी के शेयर की मौजूदा कीमत ₹1,47,400.00 है, जिसमें 0.57% की बढ़त देखी गई है। यह प्रदर्शन कंपनी की मजबूत बाजार स्थिति और निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है। एक ओर जहां एमआरएफ घरेलू बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है, वहीं दूसरी ओर कॉन्टिनेंटल जैसी वैश्विक टायर कंपनियां सस्टेनेबिलिटी यानी टिकाऊ उत्पादन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही हैं।

MRF का सफ़र: गुब्बारों से वैश्विक टायर ब्रांड तक

एमआरएफ, जिसे एमआरएफ टायर्स के नाम से भी जाना जाता है, आज भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की एक प्रमुख टायर निर्माता कंपनी है। लेकिन इसकी शुरुआत काफी साधारण थी। 1946 में के.एम. मैम्मेन मपिल्लई द्वारा चेन्नई में खिलौना गुब्बारे बनाने वाली एक छोटी इकाई के रूप में इसकी नींव रखी गई थी। 1952 में कंपनी ने ट्रेड रबर के निर्माण में कदम रखा और 1960 में अमेरिकी कंपनी मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी के साथ मिलकर टायर उत्पादन शुरू किया।

1967 तक, एमआरएफ संयुक्त राज्य अमेरिका को टायर निर्यात करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई। कंपनी ने लगातार नवाचार करते हुए 1973 में नायलॉन टायरों का उत्पादन शुरू किया। आज, एमआरएफ का मुख्यालय चेन्नई में है और इसके प्लांट और वितरण केंद्र पूरे भारत में फैले हुए हैं।

व्यापक व्यापार क्षेत्र और उत्पाद

एमआरएफ का कारोबार सिर्फ कारों के टायरों तक ही सीमित नहीं है। कंपनी का उत्पाद पोर्टफोलियो काफी विस्तृत है, जिसमें शामिल हैं:

  • यात्री कार टायर: हैचबैक, सेडान और एसयूवी के लिए।

  • वाणिज्यिक वाहन टायर: ट्रक, बस और अन्य भारी वाहनों के लिए।

  • ऑफ-रोड टायर: ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरणों के लिए।

  • दोपहिया टायर: मोटरसाइकिल और स्कूटर के लिए।

  • इसके अलावा, कंपनी ट्यूब, कन्वेयर बेल्ट, पेंट और बच्चों के लिए रबर के खिलौने भी बनाती है।

कंपनी की वित्तीय मजबूती और प्रदर्शन

एमआरएफ की वित्तीय स्थिति बेहद मजबूत है, जो इसके निरंतर विकास का आधार है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार:

  • कुल आय: ₹25,486.05 करोड़

  • शुद्ध आय: ₹2,081.23 करोड़

  • कुल संपत्ति: ₹26,849.43 करोड़

  • बाजार पूंजीकरण: ₹62,514.45 करोड़

कंपनी के पास आधुनिक उत्पादन सुविधाएं, गहरी तकनीकी विशेषज्ञता और एक मजबूत ब्रांड पहचान है, जो इसे भारतीय बाजार में एक अग्रणी खिलाड़ी बनाती है। 2023 तक, कंपनी में 19,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत थे।

भविष्य की रणनीति और विकास की संभावनाएं

एमआरएफ का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है। भारत में ऑटोमोबाइल उद्योग की वृद्धि और बढ़ते मध्यवर्ग के कारण टायरों की मांग लगातार बढ़ रही है। कंपनी अपनी भविष्य की रणनीति के तहत नए उत्पादों के विकास, अपनी वैश्विक उपस्थिति के विस्तार और तकनीकी नवाचार पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

टायर उद्योग में स्थिरता की नई लहर: कॉन्टिनेंटल की पहल

एक ओर जहां एमआरएफ भारत में अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ा रही है, वहीं वैश्विक टायर उद्योग स्थिरता (sustainability) की दिशा में एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है। जर्मन टायर निर्माता कंपनी कॉन्टिनेंटल इस बदलाव में अग्रणी भूमिका निभा रही है। कंपनी ने घोषणा की है कि वह अपने टायर उत्पादन में नवीकरणीय (renewable) और पुनर्नवीनीकरण (recycled) सामग्री का उपयोग लगातार बढ़ा रही है। 2024 में, इन सामग्रियों की हिस्सेदारी 26% थी, और 2025 तक इसे और बढ़ाने का लक्ष्य है। कॉन्टिनेंटल का लक्ष्य 2030 तक 40% से अधिक टिकाऊ सामग्रियों का उपयोग करना है, वह भी बिना किसी सुरक्षा या प्रदर्शन से समझौता किए।

चावल की भूसी से सिलिका: एक क्रांतिकारी कदम

इस बदलाव में सिलिका और कार्बन ब्लैक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। कॉन्टिनेंटल अब पारंपरिक क्वार्ट्ज रेत के बजाय चावल की भूसी की राख से सिलिका प्राप्त कर रही है। चावल की भूसी कृषि का एक उप-उत्पाद है। इस प्रक्रिया से न केवल ऊर्जा की बचत होती है, बल्कि यह एक चक्रीय अर्थव्यवस्था (circular economy) को भी बढ़ावा देती है। सिलिका टायर के रोलिंग रेजिस्टेंस को कम करता है, जिससे ईंधन की खपत घटती है और CO₂ उत्सर्जन में कमी आती है।

बायो-आधारित और रिकवर्ड कार्बन ब्लैक का उपयोग

एक कार टायर के वजन का लगभग 20% हिस्सा कार्बन ब्लैक होता है, जो उसे मजबूती देता है। कॉन्टिनेंटल अब कच्चे तेल के बजाय कागज उद्योग के उप-उत्पाद, टॉल ऑयल जैसे जैविक तेलों से कार्बन ब्लैक का उत्पादन कर रही है। इसके अलावा, कंपनी पुराने और खराब हो चुके टायरों से पायरोलिसिस तेल के माध्यम से पुनर्नवीनीकरण कार्बन ब्लैक का भी उपयोग कर रही है।

इस दिशा में अपनी क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए, कॉन्टिनेंटल ने पायरम इनोवेशन (Pyrum Innovations) के साथ साझेदारी की है। यह प्रक्रिया पुराने टायरों से सीधे कार्बन ब्लैक निकालकर नए टायरों में पुन: उपयोग के लिए तैयार करती है। यह पहल दिखाती है कि कैसे वैश्विक टायर उद्योग पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए नवाचार की राह पर आगे बढ़ रहा है।